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गांव हो या शहर , सरकारी दफ्तरों में मराठी बोलना और बोर्ड भी लगाना अनिवार्य ; सरकारी आदेश जारी

समीर वानखेड़े चंद्रपुर महाराष्ट्र:
केंद्र सरकार द्वारा मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार भी मराठी भाषा को अधिक प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने सरकारी कार्यालयों और सभी सरकारी स्तर की प्रक्रियाओं में मराठी का अधिक से अधिक उपयोग करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अब सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और नगरपालिका कार्यालयों में मराठी बोलना अनिवार्य होगा। साथ ही, इस कार्यालय के सामने वाले हिस्से में मराठी में बोलने के संबंध में एक बोर्ड लगाना होगा और सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटरों के कीबोर्ड मराठी में ही होंगे। इस बीच, एक सरकारी निर्णय जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि मराठी भाषा का उपयोग करने से इनकार करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
महाराष्ट्र राज्य की मराठी भाषा नीति के मसौदे को 12 मार्च, 2024 को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। इस मान्यता के अनुरूप, मराठी भाषा विभाग ने राज्य की मराठी भाषा नीति की घोषणा की है। मराठी भाषा के संरक्षण, संवर्धन, प्रचार, प्रसार और विकास के लिए न केवल शिक्षा बल्कि सभी सार्वजनिक मामलों को भी यथासंभव मराठी बनाना आवश्यक है।इसके लिए सभी स्तरों पर संचार, संपर्क और लेन-देन के लिए मराठी भाषा का उपयोग करना आवश्यक है, इसे ध्यान में रखते हुए मराठी भाषा नीति में क्षेत्रवार सिफारिशें शामिल की गई हैं। इस सरकारी नीति का मुख्य उद्देश्य, अन्य उद्देश्यों के साथ, अगले 25 वर्षों में मराठी को ज्ञान और रोजगार की भाषा के रूप में स्थापित करना है।
कंप्यूटर पर मुद्रित अक्षर भी मराठी में होने चाहिए।
इस नीति में स्कूली शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, कंप्यूटर शिक्षा, कानून एवं न्याय, वित्त एवं उद्योग, मीडिया, प्रशासन में मराठी भाषा के उपयोग आदि क्षेत्रों में विस्तृत सिफारिशें प्रस्तावित की गई हैं। तदनुसार, महाराष्ट्र राज्य में सरकारी खरीद और सरकारी अनुदान के माध्यम से खरीदे गए कंप्यूटर कीबोर्ड पर “मुद्रित अक्षरों” को रोमन लिपि के साथ-साथ मराठी देवनागरी लिपि में भी मुद्रित/उत्कीर्ण/उभरा जाना अनिवार्य है। साथ ही, सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी कार्यालयों, स्थानीय स्व-सरकारी निकायों, सरकारी निगमों और सरकारी सहायता प्राप्त कार्यालयों में आने वाले सभी लोगों के लिए मराठी में संवाद करना अनिवार्य होगा। कार्यालयों के सामने मराठी भाषा के प्रयोग तथा मराठी में संवाद के संबंध में संकेत लगाना भी अनिवार्य होगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि इसका सख्ती से पालन किया जाएगा।
अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई
इस बीच, उक्त कार्यालयों में मराठी में संवाद न करने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में संबंधित कार्यालय प्रमुख या विभाग प्रमुख से शिकायत की जा सकती है। कार्यालय या विभागाध्यक्ष इसका सत्यापन करेंगे और यदि संबंधित सरकारी अधिकारी/कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, यदि शिकायतकर्ता को लगता है कि कार्यालय या विभाग के प्रमुख द्वारा की गई कार्रवाई त्रुटिपूर्ण या असंतोषजनक है, तो वह विधानसभा की मराठी भाषा समिति में अपील कर सकता है।

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